Tuesday, June 9, 2009

प्रश्न और उत्तर

मैं बहुत अच्छी हिन्दी नही जानता , इसलिए कोई मुहावरा , व्यंग या कोई कविता से अपनी बात नही कह सकता , मेरा ग्यान भी काफ़ी कम है हमारे कथित बुद्धिजीवी वर्ग से , तो शायद मैं उनकी बातों का जवाब भी न ही दे पाऊँ , पर मेरे पास भी कई सवाल हैं , शायद वो जवाब दे पाएं , चलिए शुरु करता हूँ , हमारे देश में अभी अभी चुनाव हुए , हम देश के भविष्य के लिए चुनाव कर रहे थे , चुनाव हुआ भी , ग़लत या सही ये वक़्त बताएगा , एक बात प्रमुख थी देश के अधिकतर दल साम्प्रदायिकता के खिलाफ लड़ रहे थे , जो सांप्रदायिक था उस पर हम बाद में आयेंगे , पर मैं ये जानना चाहता हूँ , की हमारे देश में कितने लोग सांप्रदायिक नही हैं ,धर्म , जाति , भाषा के नाम पर भेद नही करते , मैं यहाँ साम्प्रदायिकता का समर्थन नही कर रहा बस कुछ कहने की कोशिश कर रहा हूँ । हमारा इतिहास रहा है , धार्मिक दंगो , जातीय विवादों , भाषा और छेत्र के नाम पर लड़ने का , और अभी भी है क्यों अभी भी लोग दूसरी जाति, धरम के लोगों में विवाह से परहेज करते हैं , उन्हें अछूत मानते हैं । क्या आप सब उनमे से एक नही , मैं एक टेलीविजन के एक प्रख्यात चैनल जिसमे सबसे अधिक बुद्धिजीवी पत्रकारों का जमावडा है , मैं उनको काफ़ी दिनों से देख रहा था , उनके विचारो को सुन रहा था , मुझे काफ़ी दुःख हुआ की इनके पास भी कोई जवाब नही है , भ्रम फैलाने में इनका भी उतना बड़ा हाथ है , जितना की इन कथित सांप्रदायिक , असाम्प्रदायिक दलों का है । मुझे दुःख के साथ कहना पड़ रहा है की आज साम्प्रदायिकता की धुरी मुस्लिम समाज है , जो मुस्लिम हितों की की बात करो तो सेकुलर वरना नही , इस देश में साम्प्रदायिकता आज बस एक आग है जिसमे बस घी डालने की देर और आग भड़क उठी , दरसल हमारे कथित बुद्धिजीवी वर्ग के पास अन्य चीजों की तरह इसका भी कोई हल नही है क्योकि वो भी इसका हिस्सा हैं , दुःख के साथ कहना पड़ रहा है की आजादी के ६० साल बाद भी हम ऐसे मुदों पर बात करते है जबकि इस देश में ७० प्रतिशत लोग खाने पीने तक को मुहताज हों , और बातें तो दूर की बात हैं । ओह अब मुझे ये लग रहा है सारा बुद्धिजीवी वर्ग मेरे सामने निरुतर खड़ा है और जवाब मेरे पास है, और एक बात और तुम सब मुझसे डरो क्योकि मेरे पास जवाब है और मैं ही आने वाला कल हूँ । और तुम सब बुधिमानो इस देश को इतने सालों तक बेवकूफ बनाने के लिए मैं तुम सबको बख्सने वाला नही हूँ ।