Wednesday, December 15, 2010

हाय रे चूतिया समाज , उसके चूतिया रीती रिवाज

कई दिन बाद मैं वापस ब्लॉग पर वापस इस लिए आया , क्योंकि आज मुझे कुछ सोच कर बहुत गुस्सा आ रहा था , भारत में एक शब्द का  बड़ा महत्व है वो बड़ा शब्द है " समाज " , आखिर क्या है ये समाज , कब इसकी जरूरत आती है , आज हमारे देश में करोरों लोग एक वक़्त का भोजन भी नहीं खा पाते , उस वक़्त ये समाज कहाँ चला जाता है , जब मेरे परिवार वाले मुझे पढ़ाने के लिए जद्दो जहद कर रहे थे , तब इस समाज ने क्या किया , इन सब चीजों का तो मैं आज तक पता नहीं लगा  पाया , हाँ लेकिन एक काम समाज जरूर करता है , शादियाँ करवाता है , अब आप सोचेंगे ये तो अच्छा काम है , पर पिक्चर तो अभी बाकि है मेरे दोस्त यानि "शर्तें लागू " . तो वो शर्तें क्या है , शादी आप अपनी मर्जी से नहीं कर सकते जनाब , हाँ जिसके साथ आप को जिन्दगी काटनी है , उसे आप नहीं पसंद कर सकते , ये काम केवल आपके घर वाले कर सकते हैं , अब इसका गलत मतलब नहीं निकालिएगा , ये तो हुई पहली शर्त , दूसरी शर्त भी है , अब वो क्या है , लड़की आपके " धरम " और "जाती " की होनी चाहिए , ये हमारा "समाज " कथित धरम  और जाती के बाहर विवाह  की इजाजत नहीं देता . लेकिन कई लोगों से पूछने पर उनके पास इस चीज का कोई सही जवाब नहीं होता , की ये चीजें हैं क्या . कई बार ये लगता है की लोग जानते हुए भी अनजाने बना रहना चाहते है , कहने को मंदिर , मस्जिद भगवान  को याद करने , और उन्हें शुक्रिया करने की जगह हैं , की उन्होंने हमे इस ब्रह्माण्ड का सबसे बुद्धिमान और खूबसूरत प्राणी बनाया , पर हमे देखो हम तो उन्हें भी मंदिर , मस्जिद और चर्च मैं बात दे रहे हैं , भगवान् अगर सामने आ कर कह भी दे की ये जाती धरम कुछ नहीं होता , तो ये समाज उन्हें भगवान् मानने से इंकार कर देगा , कहेगा हमारा भगवान् ऐसा नहीं है , जैसे हम चाहते है वैसा है , शायद कुछ लोग तो शायद उन्हें मारने ना दौड़ पड़े .

हाय रे चूतिया समाज , उसके चूतिया  रीती रिवाज 

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