Thursday, March 12, 2009

क्रांति



हम ही समाज बनाते हैं और समाज देशों का भविष्य तय करते हैं , हम बहुत आसानी से अपनी गलती दूसरो को मसलन "सरकार " की गलती है कहकर टाल देते हैं , चलिए मैं आपको आत्मदर्शन कराता हूँ , शुरुआत मैं धरम से करता हूँ चलिए बताइए धरम चीज क्या है , हिंदू ,मुस्लिम इसाई या सिख क्या इसे धरम कहते हैं ? या आज कल टेलीविजन पर विभिन्न चैनलों पर जो प्रचारक धरम की परिभाषा बतातें है क्या वो धरम है , अपनी विभिन्न धर्म किताबों के जरिये वो ये कहतें की बस वो किताब ही इश्वर के वचन है , क्या इन सब ने हमें चूतिया समझ रखा है , धरम जीवन जीने का एक तरीका है , और ये धरम इस दुनिया में है ये बस उस तरीके को अपनी तरीके से बताते हैं .
अब भारत देश में तो एक बिमारी और भी है वो है जाति की बीमारी , अब आप मुझे बताएं की ये जाति क्या होती है ? वर्ण व्यवस्था से निकली ये जाति अब जा ही नही रही है जबकि वर्ण व्यवस्था कबकी चली गई . हमारी जड़ों में ये चीजें इतनी बुरी तरह से बसी हैं की हम इसे प्रूफ़ करने के लिए तरह - तरह के तर्क देते हैं जैसे की " मैं भी इन चीजों को नही मानता पर अपने माँ बाप को दुखी नही कर सकता" , अगर दहेज़ प्रथा पर बोलना हो तो सब इसकी किंतनी ही बुराइयाँ निकाल देंगे , पर जब बात अपने पर आती है तो हर आदमी अपने हिसाब से अपना दाम लगता है और तर्क देता है की अरे कौन सा प्रेम विवाह है कुछ पैसा ले लिया तो क्या ग़लत किया , कितनी गन्दी मानसिकता है , अब वो वक्त आ गया है की समाज को नंगा कर करके चौराहे पर खड़ा कर दो और उसे शर्म लगने दो अपने ऊपर , अगर आप भी ऐसे हैं तो तैयार हो जाइये नंगा होने के लिए या मेरे साथ खड़े होइए , क्योंकि मैं और मेरे जैसे हजारों नौजवान अब तैयार हैं ।

2 comments:

Nikhil Srivastava said...
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Anonymous said...

bahut accha aur saccha likha hai
is kadwi sacchai ka hume samna karna hi padega ...... ab sirf bolne se nai balki apne kadam aage bada kar hume dikhana hoga kisi aur ko nai , sirf apne aap ko .. ki humara apna bhi koi astitva hai humara bhi koi aatmsamman hai .hume ab jati,dharm aur uuch neech ko tyagna hoga .