आज कल नक्सलियों का आतंक मीडिया और पूरे देश में छाया हुआ है , सभी के दिलो दिमाग में ये है की कब इस गृहयुद्ध का अंत होगा , मैं नक्सलियों की विचारधारा को नहीं जानता, हाँ ये जरूर जानता हूँ की ये गरीबों और आर्थिक शक्तियों के किलाफ़ उनका आन्दोलन है , पर मुझे समझ मैं नहीं आ रहा की ये कैसे गरीब जनता के लिए करेंगे , इनके पास कुछ विचार हैं ये गरीबी को हटाने के लिए , की खाली लोकतंत्र और पूँजीवाद का सफाया ही इन्हें ये उपाय लगता है , मुझे कुछ समझ मैं नहीं आ रहा , वैसे मेरे नक्सली भाई अगर बुरा न माने तो मैं उनसे कुछ कहना चाहता हूँ . दरसल आज से कुछ ५० या ६० पहले एक व्यक्ति हुआ था , जर्मनी में जो ये समझता था की वो जिस नसल का है उसी नसल के लोगों को इस दुनिया पर राज करने का अधिकार है , क्योकि वो सबसे पवित्र नसल हैं , ऐसा करके वो दुनिया को शुद्ध करना चाहता था , और ऐसा वो दूसरी नस्लों को ख़तम करके कर सकता है कुछ हद तक उसने किया भी , करीब ५०,००,००० लोगों का कत्ले आम किया उसने , वो बुद्धिमान था और मह्त्वकांची भी ,वो आगे बढा ,लेकिन कहा जाता है न बुधि और शक्ति का जोड़ खतरनाक होता है , हिटलर के उदाहरण में यही हुआ , मेरी नजर में नक्सलियों की हालत भी वैसे ही है ,उनके जो नेता हैं उनके पास गलत बुधि आ गयी अब शक्ति भी आ रही है ,वो भी उसी राह पर देश दुनिया का भला करने निकले हैं , अगर गरीब जनता का भला करना ही है , तो उनका भला करो न ? और वो कैसे हो वो तो मालूम नहीं , जब हम अपनी तथाकथित युद्ध जीत जायेगे तब गरीबों के बारे में सोच लेंगे ,दरसल ये लडाई बस एक सनक है जो उन्हें कही नहीं ले जा रही , गरीबी तो इनसे हटने से रही जिस व्यक्ति का ये अनुसरण करते हैं उसके देश से गरीबी हट नहीं पाई और जिसका उस व्यक्ति ने पुरजोर विरोध किया आज वही ( पूँजीवाद )उस देश की शान बढा रहा है , मैं नहीं कह रहा की गरीबी हटाई नहीं जा सकती पर ये लोग गरीबी नहीं हटा सकते क्योकि ये इनके बस की बात नहीं है क्योंकि इन्हें मालूम ही नहीं है की गरीबी हटाई जाये तो कैसे ? अब गरीब जनता के सिपाही गरीब जनता को ही अपनी हिंसा का शिकार बना रहे है , और इसे युद्ध का नाम दे रहे हैं वाह रे नक्सलवाद !
my blog is mutiny against all conventional old things , which is a baggage to a common man .hence it is my voice against all untruthful things happening in the society .
Saturday, October 24, 2009
Thursday, October 22, 2009
धरम ,जाति गई तेल लेने .
जब एक बच्चा पैदा होता है , तो उसे नही मालूम होता की वो किस धर्म , जाति का है , उसकी प्यारी सी मुस्कान हमे इश्वर कें बारे में सोचने पर मजबूर कर देती है , की इतना आदर्श निर्माण तो उस शक्ति का ही कोई कर सकता है , जब सभ्यताओं का निर्माण हो रहा था , तब कुछ बुद्धिमान लोगों ने लोगों को जीवन जीने के तरीके बताये और कहा की एक इश्वर है जो आप सब को बनाने वाला है ,वो सर्वसक्तिशाली है वो सब जनता है वो आपके दुखों को दूर करेगा , लोगों ने उन संतो की बात को सुना और आगे चल कर उन्ही संतो के उपदेशों पर आधारित धर्म बने , फिर उसमे समय समय पर परिवर्तन आए वो सही और ग़लत दोनों थे , ये देश ,समय , काल पर आधारित था , ग़लत लोगों ने ग़लत चीजें जोड़ी , सही लोगों ने सही चीजें । सदियों से वही परम्पराएं वैसे ही पालन हो रही थी , कारन उस समय पढ़े लिखे लोगों की कमी थी ,बाद मैं जब पढ़े लिखे लोगों की संख्या बड़ी तो उन चीजों पर सवाल उठने लगे ,तो यह कुछ लोगों को बर्दास्त नही हुआ , उन्हें लगा की उनसे कोई अनमोल चीज छीनी जा रही है , बजाय की आपस मैं बैठ कर बात करने के तरह तरह के विचार आने लगे ,सब अपनी सुविधा के अनुसार कह रहे थे । हम उस समय काल में जी रहे हैं , जहाँ लोग बीच में फसे हैं पूरी तरह पुराने भी नही हैं ,और नया स्वरुप भी उन्हें स्वीकार नही । में कहता हूँ क्या जरूरत है इन धर्मों की इन जातियों की , अब तो समाज और भी पढ़ा लिखा है , उसे अपने जीवन को कैसे जीना है पता है , जब हम किसी बच्चे के ऊपर किसी धर्म , जाति का तमगा लगा देते हैं , तो हम उसे हर उस दूसरी चीज से वंचित कर देते हैं जो दुनिया में हो रही हैं , क्यों नही हम उसे बिना किसी धर्म , जाति के तमगे से दूर रखकर अपना तरीका चुनने दे उसे क्या बनना है उसे चुनने दें , हाँ हम उसे सामन्य सही ग़लत बताएं पर खुला छोड़ दे उसे , और देखें की उनका अपना भविष्य किसी भी द्वेष , इर्ष्या से कैसे दूर हो रहा है .
सही ग़लत को जानें .
आज काफ़ी दिन बाद मन किया की चलो कुछ ब्लॉग पढ़ें , उन्हें पढ़कर मुझे पूरा यकीं हो गया की कलयुग इस वक्त सबसे जायदा प्रभावी है , क्योंकि सभी तरफ़ से उस दुनिया के विनाश की कोशिशें जारी हैं जो उनके रहनें की जगह है , सब कहतें की हम दुनिया बचायेंगे ,क्यूंकि उसका तीस मार खान नुक्ता तो हमारे पास ही है , और सब तो चूतिया हैं , और बात यहाँ ख़तम नही होती , अब दुनिया को बचने से पहले उन दूसरे विचारों को ख़तम भी तो करना है ,अब तरीका कोई भी हो , कोई मुसलमानों को सबसे बेहतर बताता है कोई इसाई को तो कोई हिंदू को , तरीका एक की ' खूब सारे जानकारियां जमा करो ,उनका खूब जोर शोर से प्रचार करो और सीधे साधे लोगों को बेवकूफ बनाकर उनमे दूसरे विचारों के लोगों के प्रति घृणा पैदा करो ' , सभी धर्मों के संगठन कमोबेस यही तरीका अपनाते हैं ।मसलन मान लीजिये की दो व्यक्ति जैसे की एक पंडित और दूसरा कोई नीची जाती के वक्ती के बीच में किसी मामूली से मसले पर विवाद हो जाता है , अब किसी को विवाद पैदा करना है तो बस दूसरे जाती के व्यक्ति के बारे में जातीय (घ्रिनात्मक ) इतिहास बताकर विवाद पैदा कर दिया , इस बात में कोई शक नही है की भारत जैसे असाम्प्रदायिक देश में कई सारी ऐसे बातें हैं जो साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देती हैं , पर इसका हल आपस में लडाई नही , क्या हम पाकिस्तान या और मुस्लिम या किसी इसाई रास्त्र की तरह होना चाहते हैं , ये समय हमारे लिए मुश्किलों भरा जरूर हो पर हम सही रास्ते पर हैं । आप सभी से मेरा अनुरोध है की कृपया सही और ग़लत में फर्क समझें ।
धन्यवाद .
धन्यवाद .
Friday, October 16, 2009
बस बहुत हुआ
अब बस बहुत हुआ , मैं अब और नही सहूँगा , मैं और जूठ का भागीदार नही बनूँगा ,अब मैं बोलूँगा ,जरूरत पड़ी तो हथियार उठाऊँगा , मैं उन्हें मारूंगा जो इस देश को , इस विश्व को गन्दा कर रहे हैं । अब सहा नही जाता , नक्सालिस्म , रास्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का हिंदुत्व , और जितने भी संगठन हैं कोई इंसान के लिए नही लड़ता सब झूठी लडाई लड़ रहे हैं , इन्हे अपने को इंसान कहते हुए भी शर्म नही आती , अरे कमीनों जिसके लिए लड़ रहे हो , उसी का कत्ल कर रहे हो , अरे कुछ करना तो पहले अपने अन्दर के शैतान को मारो , बड़ी बड़ी डिग्रियां लेकर भी ये जान नही पाए की जिस भगवान् के लिए लड़ रहे हो वो भी इस लडाई की क़द्र नही करता , वो तो तुम जैसे घिनौने लोगों से नफरत करता है , और मैं भीचेतावनी दे रहा हूँ तुमको हट जाओ वरना मारे जाओगे , सच ये है की तुम सब इंसान हो और इंसान ही बने रहो जानवर नही , वरना जल्दी ही बुरे दिन सुरु हो रहे तुम लोगों के .
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