Thursday, October 22, 2009

धरम ,जाति गई तेल लेने .

जब एक बच्चा पैदा होता है , तो उसे नही मालूम होता की वो किस धर्म , जाति का है , उसकी प्यारी सी मुस्कान हमे इश्वर कें बारे में सोचने पर मजबूर कर देती है , की इतना आदर्श निर्माण तो उस शक्ति का ही कोई कर सकता है , जब सभ्यताओं का निर्माण हो रहा था , तब कुछ बुद्धिमान लोगों ने लोगों को जीवन जीने के तरीके बताये और कहा की एक इश्वर है जो आप सब को बनाने वाला है ,वो सर्वसक्तिशाली है वो सब जनता है वो आपके दुखों को दूर करेगा , लोगों ने उन संतो की बात को सुना और आगे चल कर उन्ही संतो के उपदेशों पर आधारित धर्म बने , फिर उसमे समय समय पर परिवर्तन आए वो सही और ग़लत दोनों थे , ये देश ,समय , काल पर आधारित था , ग़लत लोगों ने ग़लत चीजें जोड़ी , सही लोगों ने सही चीजें । सदियों से वही परम्पराएं वैसे ही पालन हो रही थी , कारन उस समय पढ़े लिखे लोगों की कमी थी ,बाद मैं जब पढ़े लिखे लोगों की संख्या बड़ी तो उन चीजों पर सवाल उठने लगे ,तो यह कुछ लोगों को बर्दास्त नही हुआ , उन्हें लगा की उनसे कोई अनमोल चीज छीनी जा रही है , बजाय की आपस मैं बैठ कर बात करने के तरह तरह के विचार आने लगे ,सब अपनी सुविधा के अनुसार कह रहे थे । हम उस समय काल में जी रहे हैं , जहाँ लोग बीच में फसे हैं पूरी तरह पुराने भी नही हैं ,और नया स्वरुप भी उन्हें स्वीकार नहीमें कहता हूँ क्या जरूरत है इन धर्मों की इन जातियों की , अब तो समाज और भी पढ़ा लिखा है , उसे अपने जीवन को कैसे जीना है पता है , जब हम किसी बच्चे के ऊपर किसी धर्म , जाति का तमगा लगा देते हैं , तो हम उसे हर उस दूसरी चीज से वंचित कर देते हैं जो दुनिया में हो रही हैं , क्यों नही हम उसे बिना किसी धर्म , जाति के तमगे से दूर रखकर अपना तरीका चुनने दे उसे क्या बनना है उसे चुनने दें , हाँ हम उसे सामन्य सही ग़लत बताएं पर खुला छोड़ दे उसे , और देखें की उनका अपना भविष्य किसी भी द्वेष , इर्ष्या से कैसे दूर हो रहा है .

4 comments:

P.N. Subramanian said...

सही कहा है. धार्मिक विचारों को भी परिवर्तनशील होना ही चाहिए. आप के प्रोफाइल में जहाँ आप ने कहा है की I am "a" engineering student उस "a" को "an" कर दें

संगीता पुरी said...

बहुत सही कहा !!

Shastri JC Philip said...

प्रिय राहुल, कल और आज में मैं ने तुम्हारे काफी सारे आलेख पढ डाले. अच्छा लगा.

तुम्हारे मन में एक इच्छा है कि सब अच्छे हों और सब अच्छा हो. लगे रहो, बदलाव जरूर आयगा, लेकिन अभी धैर्य जरूरी है!!

सस्नेह -- शास्त्री

हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info

timeforchange said...

aadarniya shastri ji ,
aapke sujhav aur utsahvardhan ke liye shukriya .