Saturday, October 24, 2009

नक्सलवाद और गरीब जनता

आज कल नक्सलियों  का आतंक मीडिया और पूरे देश में छाया हुआ है , सभी के दिलो दिमाग में ये है की कब इस गृहयुद्ध का अंत होगा , मैं नक्सलियों की विचारधारा को नहीं जानता, हाँ ये जरूर जानता हूँ की ये गरीबों और आर्थिक शक्तियों के किलाफ़ उनका आन्दोलन है , पर मुझे समझ मैं नहीं आ रहा की ये कैसे गरीब जनता के लिए करेंगे , इनके पास कुछ  विचार हैं ये गरीबी को हटाने के लिए , की खाली लोकतंत्र और पूँजीवाद का सफाया ही इन्हें ये उपाय लगता है , मुझे कुछ समझ  मैं नहीं आ रहा , वैसे मेरे नक्सली  भाई अगर बुरा न माने तो मैं उनसे कुछ कहना चाहता हूँ . दरसल आज से कुछ ५० या ६० पहले एक व्यक्ति  हुआ था , जर्मनी में जो ये समझता था की वो जिस नसल का है उसी नसल के लोगों को इस दुनिया पर राज करने का अधिकार है , क्योकि वो सबसे पवित्र नसल हैं , ऐसा करके वो दुनिया को शुद्ध करना चाहता था , और ऐसा वो दूसरी नस्लों को ख़तम करके कर सकता है  कुछ हद तक उसने किया भी , करीब ५०,००,००० लोगों का कत्ले आम किया उसने , वो बुद्धिमान था और मह्त्वकांची भी ,वो आगे बढा ,लेकिन कहा जाता है न बुधि और शक्ति  का जोड़ खतरनाक होता है , हिटलर के उदाहरण में यही हुआ , मेरी नजर में नक्सलियों की हालत भी वैसे ही है ,उनके जो नेता हैं उनके पास गलत बुधि आ गयी अब शक्ति भी आ रही है ,वो भी उसी राह पर देश दुनिया का भला करने निकले हैं  , अगर गरीब जनता का भला करना ही है , तो उनका भला करो न ? और वो कैसे हो वो तो मालूम नहीं , जब हम अपनी तथाकथित युद्ध  जीत जायेगे तब गरीबों के बारे में सोच लेंगे ,दरसल ये लडाई बस एक सनक है जो उन्हें कही नहीं ले जा रही , गरीबी तो इनसे हटने से रही जिस व्यक्ति का ये अनुसरण करते हैं उसके  देश से गरीबी हट  नहीं पाई   और जिसका उस व्यक्ति ने पुरजोर विरोध किया आज वही ( पूँजीवाद )उस देश की शान  बढा रहा है , मैं   नहीं कह रहा की गरीबी हटाई नहीं जा सकती पर ये लोग गरीबी नहीं हटा सकते क्योकि ये  इनके बस की बात नहीं है क्योंकि  इन्हें मालूम ही नहीं है  की गरीबी हटाई जाये  तो कैसे ? अब गरीब जनता के सिपाही गरीब जनता को ही अपनी हिंसा का शिकार  बना रहे है , और इसे युद्ध का नाम दे रहे हैं वाह रे नक्सलवाद !

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