Thursday, February 11, 2010

लोकतान्त्रिक गुंडागर्दी

आज कल शिवसेना और शाहरुख़ खान के बीच की लड़ाई हर जगह छाई हुई है , कई लोग खुश  हैं , कई लोग दुखी हैं , दरसल हमारा सौभाग्य है की हम लोकतंत्र है , तभी चाहे वो रिक्शेवाले का बेटा ,बेटी हो , चाहे वो राजा रानी का बेटा सभी एक हैं , सभी को सामान रूप से आगे बढ़ने के हक़दार हैं , दुर्भाग्य ये है की जिस तरह हमने सरकार के लिए काम करने वालों के लिए नियम बनाये की गर चपरासी बनाना है तो कितनी शिक्षा  जरूरी है ,कौन सा एक्साम पास करना ,चाहे जो एक बड़े अधिकारी बनने के लिए ,सब कुछ नियमानुसार होता है , पर जब बात इन नेताओं की आती है , तो चाहे जो अंगूठा छाप हो चाहे वो  बहुत पढ़ा लिखा हो सब एक ही कतार में खड़े हैं , बस उन्हें लोगों का समर्थन होना चाहिए , इसके फल स्वरुप आज हमारे देश में हर दूसरा आदमी एक पार्टी लेकर खड़ा हो जाता है , फिर देखो इनके फरमान , किसी को अपनी जाति को ऊपर लाना है , किसी को अपने धरम को ऊपर लाना है , किसी को अपनी भाषा को ऊपर लाना है , और उसके लिए चाहे लोगों को मारना पड़े , घर फूकना पड़े , गाड़ियाँ जलानी पड़े , सब कुछ करते हैं , हम लोकतंत्र हैं ना ,यहाँ सब को सब कुछ कहने का अधिकार है , "लोकतंत्र " क्या यही सोच कर गाँधी , नेहरु ,आजाद , भगत सिंह , नेता जी ने इस देश को आजाद करवाया था , कितनी शर्म की बात जिस जनता की बात ये सब करते हैं , वो तो केवल इनकी गुंडागर्दी  का शिकार  ही बनती है , मुझे समझ में नहीं आता की क्या इस देश में सही लोग मर गए हैं , या सो रहे हैं , इन गुंडों का जवाब दिया जाना बहुत जरूरी है , वर्ना ये लोकतान्त्रिक गुंडा गर्दी तानाशाही में परिवर्तित हो जाये . अभी समय है कुछ किया जाना चाहिए .

1 comment:

परमजीत सिहँ बाली said...

बढिया पोस्ट लिखी है बधाई।