Sunday, June 27, 2010

खेल ,खेल प्रमुख और लोकतान्त्रिक मीठा

आज भारतीय खेलों की गजब दुर्दशा है , पर हमारे खेल प्रमुखों के क्या कहने वो सालों से गजब खेल, खेल रहे हैं , कोई २० साल से संघ में जमा हुआ है कोई ४० साल से , पर हमारे खेल वैसे के वैसे ही बने हुए है , हौकी जैसे खेल तो देश गर्व से देश शर्म में परिवर्तित हो गए है , पर क्या फर्क पड़ता है , किसी को क्या पड़ा है , अब तो हमारी मानसिकता ही वैसे हो गयी है , हर ओलम्पिक्स के बाद हम अपना स्थान नीचे से ही ढूँढ़ते हैं , और ये देख कर गर्वान्वित होते की हमारे नीचे कितने रास्त्र हैं , किसी को ये परवाह नहीं की देश का स्वाभिमान कोई चीज है , पूछने पर की नेता जी कुर्सी कब छोड़ रहे हो , बिना किसी शर्म कहते हैं हम लोकतान्त्रिक तरीके से चुने गए हैं  , क्या फर्क पड़ता की जनता क्या चाहती है . पारंपरिक ओलंपिक्स खेलों से मैं एक दूसरे खेल पे आता हूँ ,जिससे भारत में धरम का स्थान प्राप्त है "क्रिकेट" , आप सब को शायद ये नहीं मालूम होगा , इसे भारतीय सरकार नहीं एक व्यग्तिगत  संस्था जिसका नाम बी सी .सी आई है चलाती है , अगर देखा जाये तो हमारी भारतीय टीम का नाम बी .सी .सी .आई रख दिया जाये तो गलत नहीं होगा , वैसे हम लोग खेल से कितना प्यार करते हैं , ये हमारे नेताओं से पता चलता है ,देखो क्रिकेट का प्रेम उन्हें यहाँ तक खीच लाया की अब क्रिकेट वही चला रहे हैं , हमारे कृषि मंत्री तो इतने बड़े प्रेमी हैं की अब वो .आई .सी .सी के अध्यक्ष बन बैठे हैं , लगता है कृषि मंत्रालय के पास कोई काम नहीं रहा , रहेगा भी कैसे जब हमारे कृषि मंत्री को हमारे भूख से मर रहे देशवासियों से ज्यादा क्रिकेट पे प्यार जो आ गया है , वैसे  मेरा मन नहीं मान रहा आप को शाबाशी देते , की दुनिया में आप एक मात्र ऐसे कृषि मंत्री होंगे जो पहले से ही दामों के बढ़ने का ऐलान कर देते है , वाह रे मंत्री जी ! लेकिन अचानक ये क्रिकेट प्रेम हमारे नेताओं में आया कैसे? ओह अब समझ में आया , हमारा क्रिकेट बहुत सारा मीठा ( हजारों करोर रुपइए ) जो बना रहा है , अब मखियाँ का  भिनभिनाना तो वाजिब है , अब कोई इसके बारे में क्यों नहीं बोल रहा , मीठा सभी को मिल रहा है , कांग्रेस , बी .जे .पी  और हमारा प्यारा मीडिया , अभी हजारों करोर का घोटाला हुआ , पर किसी की हिम्मत  जो बोल जाये , फिर भी हमारा देश आगे बढ़ रहा है , जब तक हमारे साथ ये शब्द  है "जुगाड़ "

2 comments:

माधव( Madhav) said...

nice post

लोकेन्द्र सिंह said...

... तो क्या मुसलमान देशद्रोही है?
क्या मुसलमान ऐसे हिन्दुओं का दिल जीत सकते हैं ?
तेज बहस यहां चल रही है आपको अपने विचार रखने हैं तो आपका अपना पंचू पर तहेदिल से स्वागत है।