Saturday, January 23, 2010

बचपन




एक छोटे बच्चे के बारे में सोचिये , अच्छा अपने बचपन के बारे में सोचिये , बचपन में आप क्या बनाना चाहते  थे , सुपर मैन
ही -मैन , हनुमान जी , बस आँख बंद करते थे और उड़ जाते थे अपनी ही दुनिया में . अपने माँ , बाप , बहन , भाई सबके दुखों को दूर कर देते थे , जो घर में नहीं होता था , वो सब हमारे सपने में होता था . टाफियों और चॉकलेट्स का तो भरमार होता था , खूब चाव से खाते थे हम उन्हें , और सोचते थे की बड़े होने पर अपने घर में ही  दुकान रखेंगे जब मन किया खा लिया . अब सोचिये

क्या वो बच्चे जो कश्मीर में , पाकिस्तान में , गज़ा पट्टी , अफ्रीका में रहते हैं उनके सपने भी हमारे जैसे होते होंगे , हाँ वो भी हमारे जैसा ही सोचते होंगे . सपने हमारे भी टूटते हैं उनके भी, पर अंतर कहाँ है  अंतर है की जब हम बड़े हुए हमे अपने माँ बाप , भाई बहन का साथ मिला , उनमे से कुछ खुश  नसीब ही होंगे जिन्हें ये सब नसीब होता होगा , जब हम बड़े हुए सुपर मैन तो नहीं पर पर मैन तो बन ही गए , वो क्या बन पाए ये तो उन्हें भी नहीं पता . जब सपने  टूटते हैं तो बहुत दुःख होता है , उनके सपने टूटने में तो उनका भी दोष नहीं था , बस दोष इतना की गलत टाइम पर गलत जगह पैदा हो गए , जब बच्चे, बच्चे होते हैं अगर उन्हें पता हो की आगे चलकर उनका भविष्य ऐसा होने वाला है शायद वो जीने से ही मना कर दें , अब दिमाग में आता है की इसका जिम्मेदार कौन है ,तो मेरे दिमाग में आता है की जिम्मेदार हम हैं , हमने आँख जो बंद कर ली है दूसरे का घर में आग लगी तो हमे उससे क्या , ये नहीं सोचा की उसमे भी ऐसे ही छोटे छोटे बच्चे होंगे . बड़ा होना इतना खतरनाक होता है , मुझे बड़ा आश्चर्य होता है , इतनी दीवारें खड़ी कर दी हैं हमने की हम खुद दीवार के उस पार नहीं देख पाते .शायद अब हमने आँखें बंद करना बंद कर दिया है , सपने देखना बचपना लगता है , या हम डरने लगें हैं , टूटने का डर जो है अरे भाई  इसके पैसे थोड़े लगते  है , अपने बचपन को याद करो , या अपने बच्चों को ही देख लो शायद सपने देखना आ जाये , क्योंकि ये सपने भी कहीं ना कहीं हमने कुछ सिखाते हैं , अपनी दीवार से दूर ले जाते हैं, कर के देखो बड़ा आराम मिलेगा और जवाब भी .

2 comments:

Arshad Ali said...

Bachpan
jinda rakhna hoga
aane wali pidhi aaj ke bachpan ke aadhar par hin ban paayegi
aapne ekdam sahi mudde par likha hay

ham sabhi ko gambhirta se sochna hoga

Nikhil Srivastava said...

sirf itna hi kah sakta hun ki kash aisi soch sabko naseeb ho.
aamin!