Saturday, January 23, 2010

कांग्रेस एक सेकुलर पार्टी नहीं है

बहुत दिनों से एक शब्द जो मेरे दिल के काफी करीब है " सेकुलर " के बारे में कुछ लिखना चाह रहा था , दरसल मैं  ये बात पूरे विश्वास और दृढ़ता से कह रहा हूँ की भारत देश में लगभग सभी सांप्रदायिक हैं , अब जो लोग सीना ठोक कर अपने आप को सेकुलर कहते नज़र आते हैं वो कहेंगे आप ये कैसे कह रहे हैं , तो मेरे हिसाब से सेकुलर वो है जो धरम , जाति के हिसाब से एक दूसरे में कोई अंतर ना करता हो , जिसे दूसरे धरम के लोगों से किसी भी प्रकार का सम्बन्ध बनाने से कोई परहेज ना हो और धरम उसके लिए मात्र इश्वर में आस्था का जरिया भर हो . और संविधान में जो परिभाषा दी गयी है वो एक दम गलत है , संविधान में परिवर्तन की आवश्यकता है . अब आते हैं कांग्रेस पर सबसे ज्यादा यही लोग सेकुलर नामक शंख बजाया करते हैं , ये लोग सबसे बड़े साम्प्रदयिक हैं , अगर भाजपा सांप्रदायिक है तो उसी सिक्के के दूसरे पहलू ये भी हैं , मेरा मानना है की कोई भी सेकुलर व्यक्ति अपना डंका नहीं पीटता जैसे ये पीटते हैं , लोग सामन्यता सेकुलरिस्म को हिन्दू -मुस्लिम धर्मों से जोड़ते हैं , और मुझे ये भी लगता है की लोग यहाँ बहुत जल्दी भूल भी जाते हैं , याद करिए १९८४ के सिख दंगे इनके पीछे किसका हाथ था , क्या कांग्रेस के लोग इसके पीछे नहीं थे  , ३ दिन हमारी देश की राजधानी में किस तरह दंगो का नंगा नाच हुआ ये हमे मालूम हैं , और दंगा पिरितों के साथ इन्साफ हुआ ? नहीं -नहीं हुआ  . इस बात की क्या गारंटी है की ये लोग समय आने पर फिर ऐसा नहीं करेंगे , पूरे देश को सिख संप्रदाय का शुक्रिया अदा करना चाहिए की वो इस जख्म को लेकर भी आगे बढ़ गए , वर्ना सिख आतंकवाद भी हमारे सामने खड़ा होता . अब बारी आती है हमारे गृह मंत्री की  मिस्टर पी चितंबरम की बारी पहले  कई दिनों से मैं उनके मुह से हिन्दू आतंकवाद की काफी चर्चा सुन चुका हूँ , क्या ये हमे बता सकते हैं की ये देश के किस हिस्से में पनपा है हम भी तो जाने . मैं उनको एक सलाह भी देना चाहूँगा की ऐसा करना बंद करिए वर्ना कोई हिन्दू आतंकवादी कहीं आपको ही शिकार ना बना ले , मेरा कहने का मतलब सिर्फ इतना है हिन्दू आतंकवाद जैसे कोई चीज अभी तक तो नहीं है  पर आप ऐसा क्यों चाहते हैं की ऐसा हो , यहाँ लोगों को भरकाने वालों की कमी नहीं है कृपा करके ये प्रोपोगंडा बंद करिए .कांग्रेस को मेरी सलाह बस इतनी है की सेकुलर बोल के मत बनिए ये आप के बस की बात नहीं . इसके आलावा आप के पास कई मुद्दे हैं उनपर काम करिए . सेकुलर होना आपके बस की बात नहीं . मैं ये इस लिए भी कह रहा हूँ  क्योंकि धर्म की बात कर लोग बहक जल्दी जाते हैं , चाहे वो सेकुलर हो या सांप्रदायिक .

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